koi kahta hai awara koi kahe diwana hame,
na jane kon kahega kisi shama ka parwana hame.
dosto ne us gali ke chakkar par chakkar lagwa diye,
le ke dubega ek din ye yarana hame.
कोई कहता है आवारा कोई कहे दीवाना हमें ,
न जाने कोण कहेगा किसी शमा का परवाना हमें .
दोस्तों ने उस गली के चक्कर पर चक्कर लगवा दिए ,
ले के डूबेगा एक दिन ये याराना हमें
19 comments:
कितने परवाने जले राज ये पाने के लिए
शम्मा जलने के लिए है या जलाने के लिए
रोज कहता हूँ न जाउंगा घर उनके
रोज उस कूचे में इक काम निकल आता है।
...ये दोनो शेर मेरे लिखे नहीं हैं। आपके पढ़े तो याद आ गये।
वाह...बहुत खूब.
सुन्दर ...
याराना और भी बहुत कुछ कराता है..
waha ...bahut khub
वाह! क्या बात है! बहुत खूब लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
आप चक्कर लगते रहिये मंजिल जरुर मिलेगी ......:))
खूब कहा .... बहुत अच्छी पंक्तियाँ
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
बहुत खूब!
संजय जी,..मै जट यमला पगला दीवाना
इत्ती सी बात न जाना ...
बहुत सुंदर आवरगी ,..पसंद आई ...
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है ....
bahut khoob nishant ji
bahut hi dil ko chune wali prastuti
bahut bahut badhai
poonam
sundar !!
waah...
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Dear Nishant ,
Glad to see that you have removed that filthy comment by him.
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Nice poem...Keep it up !
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इतने किस्से हैं ज़माने में
पर कहां सीखते हैं मजनूं कभी!
बहुत भावपूर्ण रचना बधाई |
आशा
क्या बात है बहुत दिनों ब्लॉग में
नही दिख रहे......
क्या बात है बहुत सुन्दर
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